प्रकाश भेद देता है अंधकार की हर माया उम्मीद की फसल लहलहाती है उजाले का साथ पाकर एक भकजोन्हिया धीरे से कर देता है विद्रोह सनातन दिखने वाले अंधकार के विरुद्ध और दोस्त, तुम अब भी पूछ रहे हो बताओ तुम्हारी योजना क्या है!
हिंदी समय में जितेंद्र श्रीवास्तव की रचनाएँ