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कविता

विद्रोह

जितेंद्र श्रीवास्तव


प्रकाश भेद देता है
अंधकार की हर माया
उम्मीद की फसल लहलहाती है
उजाले का साथ पाकर

एक भकजोन्हिया
धीरे से कर देता है विद्रोह
सनातन दिखने वाले अंधकार के विरुद्ध
और दोस्त, तुम अब भी पूछ रहे हो
बताओ तुम्हारी योजना क्या है!


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